Posts

Showing posts from July, 2018

गुज़रता वक़्त, बदलती दुनियां

लोगों के बदले नक़ाब, किरदार अभी भी वैसा है, खुल गयी दुकानें मरहम की; बाज़ार अभी भी वैसा है |  तुम से कुछ है तो अपने हो, कुछ नहीं तो फिर तुम गैर सही, बस मोल बदलता रहता है; व्यापार अभी भी वैसा है | हैं दिए वही, हैं रंग वही, और वैसे ही हम तुम भी हैं, बस खुशियाँ थोड़ी कम सी हैं; त्यौहार अभी भी वैसा है |  कुछ फ़र्क नहीं है अब भी इन, हर पल बढती सी चोटों में, बस सह कुछ ज्यादा लेता हूँ, पर वार अभी भी वैसा है | पूछ रहे हैं लोग रोज़,  कि कैसे हैं हालात मेरे, बस खबर बदलती रहती है, अखबार अभी भी वैसा है | मैं तो अब भी उन हंसी ठहाको, की यादों को गिनता हूँ, अब महफिल कम ही जमती है; दरबार अभी भी वैसा है | -कान्हा जोशी 'उदय'