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Showing posts from March, 2021

हाेल्यार

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मैं लगाके दाढ़ी मूछ बाल, मुंह पर मलकर लाया गुलाल, अपनी तो सारी शर्म फेंक दादरा कहरवा ताल टेक इस फाग में हंसी ठहाकों के कुछ रंग जमाता हूं आओ मैं होल्यार हूं फिर एक स्वांग रचाता हूंं उदय

दीपक

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है राह वो जिस पर पथिक चलते थे, चलते हैं; हैं स्वप्न वो सब में ही जो पलते थे, पलते हैं; ये भाव वो ही हैं जो थे उत्कृत अजंता में, ये शब्द वो ही हैं जो थे कल्पों से चिंता में, अब क्या है अंतर इस जगत की काल रेखा में? अनुसूचित हुए और कट गए सब लोग लेखा में! बस रो रहे अपने ही चयनित युद्ध में भिड़कर, लघु हैं ये बातें जान, पर लघुता से ही चिढ़कर, हम हैं नहीं वो जो अनत अक्षय में पलते हैं! हम हैं निरे दीपक जो बस जलते हैं, ढलते हैं! उदय

Kaagazi

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Kaagazon mai hai kahaani Kaagazi kirdaar hai Kaagazi rishton ke aage Kaagazi deewar hai Kaagazi ye waqt hai Jo boond padkar gumshuda Kaagazi si bheed hai Jo saath hai par hai juda Kaagazi ye khwab hai Ki "zindagi us paar hai" Kaagazi rishton ke aage Kaagazi deewar hai -Uday