हाेल्यार

मैं लगाके दाढ़ी मूछ बाल,
मुंह पर मलकर लाया गुलाल,
अपनी तो सारी शर्म फेंक
दादरा कहरवा ताल टेक
इस फाग में हंसी ठहाकों के
कुछ रंग जमाता हूं
आओ मैं होल्यार हूं
फिर एक स्वांग रचाता हूंं

उदय



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