टूटना विकल्प नहीं!
माना है उदय दूर,
कृत्यों के अर्थ चूर,
हारों के शूल कई,
युद्धों की भूल कई,
पथ से जो रही प्रीत,
जागती निशा के गीत,
वो नहीं है बीत रहे,
यत्न नहीं जीत रहे,
फिर भी रहना है पूर्ण,
चाहिए अब अल्प नहीं...
टूटना विकल्प नहीं... टूटना विकल्प नहीं!
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