सवाल और कलम
सवाल और कलम
- कान्हा जोशी 'उदय'
हमने उनसे कलम मांगी,
उन्होंने हमें थमा दी...
तलवारें और बन्दूक!
हमने उनसे स्याही पूछी,
तो उन्होनें हमें दिखाया...
उनके इतिहास में बहता खून !
जब हमने उनसे रस्ता पूछा,
तो छोड़ आये हमें,
आँखों में पट्टी बांधे चलते ,
...लोगों की भीड़ में!
हम भी चलते गये!
लेकिन अब भागना ज़रूरी है,
आँखें खोलने,
स्याही भरने,
और कलम पकड़ने के लिए!
क्योकि सवाल....
कलम पूछती है,
...तलवारें और बंदूकें नहीं!
Bahut khoob mitra!
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