रोता हुआ आदमी - कान्हा जोशी 'उदय' रोता हुआ आदमी, अपने नरम आंसुओं से, गला रहा होता है, एक कठोर कारागार... जिसमें लगी हैं, सदियों पुरानी सलाखें, जिन्होंने जकड़ी है, झूठी मज़बूती के आवरण में, एक पुरुष की आत्मा... काश किसी दिन अखबार में, कोई लेख लिखे, कोई शोध छपे, जो बताए दुनिया को, कि आदमी रो सकता है, ... कि रोता हुआ आदमी, सबसे सुंदर होता है !
Khoob likhe ho!
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