तपिश
सांझ ढलते आसमां ने तारों के दीपक जलाए
ताकि तन्हा एक मुसाफिर राह अपनी जान पाए
छाले पैरों में पड़े जो हर दिलासा बेअसर है
सोई दुनिया में वो जागा चल रहा किसको खबर है
धुंध आगे, रात गहरी, एक दिए की लौ जली है
उस दिए की रोशनी से ज़िन्दगी कितनी पली हैं
एक क़दम है सामने, औ' उस क़दम पर ही नज़र है
सोई दुनिया में वो जागा चल रहा किसको खबर है
- उदय
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