वजू


वजू 
 - कान्हा जोशी 'उदय'

माना कि ये दिलकश ज़माना भी ज़रूरी है,
हर शाम खुद में लौट आना भी ज़रूरी है!

अपनी कहानी में तो हैं हम सब फरिश्ते पर,
खुद पर कभी उंगली उठाना भी ज़रूरी है!

थी दो जहानों को जो अकसर जोड़ती रेखा,
अब कश्मकश में है कि आधी है या पूरी है!

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