Posts

रोता हुआ आदमी

रोता हुआ आदमी - कान्हा जोशी 'उदय' रोता हुआ आदमी, अपने नरम आंसुओं से, गला रहा होता है, एक कठोर कारागार... जिसमें लगी हैं, सदियों पुरानी सलाखें, जिन्होंने जकड़ी है, झूठी मज़बूती के आवरण में, एक पुरुष की आत्मा... काश किसी दिन अखबार में, कोई लेख लिखे, कोई शोध छपे, जो बताए दुनिया को, कि आदमी रो सकता है, ... कि रोता हुआ आदमी, सबसे सुंदर होता है !

माउथॉरगन

माउथॉरगन  कान्हा जोशी उदय  

उदय

Image
 अगर तुम मुझे,  छोड़ दोगे,  नीरव अंधेरी गुफाओं के भीतर,  मरने के लिए,  और तोड़ दोगे,  मेरे शरीर की हर एक पसली,  तो मैं उस अंधेरे और सन्नाटे के बीच,  अपने शरीर से बहते रक्त को,  रोक अपने हाथों से,  खड़ा होऊँगा फिर एक बार,  और ढूँढने निकलूंगा,  प्रभात की एक किरण,  और अगर लगे,  कि असंभव है,  मिलने इस कालिमा में,  रोशनी के टुकड़े,  तो उसी क्षण जला कर स्वयं को,  कर दूंगा तिरोहित,  जैसे यज्ञ में मिलती हो आहुति,  जैसे आग में जलते हों पतंगें,  और जैसे,  ब्रह्मांड की कालिमा में,  प्रतिक्षण जलकर होता हो सूर्य का 'उदय'

बीज

Image
  दबकर पग पग इन भारों से, हाँ टूट गए होंगे मानव , शव नहीं चिरंतन बीज हूँ मैं, मिट्टी में जो दब सृजित हुआ! तारों पर निर्भरता से, जो ताप तजे वो पूर्ण कहाँ, मैं चंद्र नहीं, हूँ सूर्य स्वयं, खुद निशा चीर जो उदित हुआ! कल के अमृत की आशा में, जग त्याग रहा जल के झरने, मैं वर्तमान का हूँ शंकर, जो गटक हलाहल विजित हुआ! - कान्हा जोशी ' उदय'

टूटना विकल्प नहीं!

Image
माना है उदय दूर, कृत्यों के अर्थ चूर, हारों के शूल कई, युद्धों की भूल कई, पथ से जो रही प्रीत, जागती निशा के गीत, वो नहीं है बीत रहे, यत्न नहीं जीत रहे, फिर भी रहना है पूर्ण, चाहिए अब अल्प नहीं... टूटना विकल्प नहीं... टूटना विकल्प नहीं!

अग्नि

Image
अग्नि   - कान्हा जोशी 'उदय'

ख़्वाब

Image
ख़्वाब तो कई आते हैं, पर अकसर नहीं रह पाते याद! लेकिन कभी... बांज की जड़ों में रुके पानी से साफ, ...रह जाते हैं क़ैद! ख़्वाब में दास्तानें हैं कई, कभी बिखरे हुए मडूए के दानों सी, तो कभी गेहूं की बालियों सी एक साथ! कभी धाराओं के ठंडे पानी सी तेज़,  तो कभी ताल के पानी की तरह स्थिर! पर बेतरतीब हों या जुड़े हुए, सभी हैं खूबसूरत! जिनका जी लेता हूं हर क्षण, तुम्हारे साथ... फिर सुबह उठकर, मुस्कुराकर, सोचता हूं अकसर, कि शायद ज़रूरी हों दोनों, जागने के लिए सपने देखना, और जागना, सपने देखने की खातिर! -उदय